सरधना पालिकाध्यक्ष शबीला, अधि अधिकारी समेत कई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज
- सरधना नगर पालिका परिषद में भ्रष्टाचार की शिकायत आम
- आरोप है कि जनप्रतिनिधि व स्टाफ बतौर गिरोह करता है काम
- कमीशन व टेंडर वापस न लेने पर फाइल गायब की
- आरटीआई में भी जवाब मिला कि लुकमान की फाइल उपलब्ध नहीं है
सरधना नगर पालिका परिषद भ्रष्टाचार का पर्याय हो गया है। हर काम में रिश्वत और न देने पर प्रताड़ना आम बात हो गयी है। ऐसे ही एक मामले में कोर्ट ने परिषद चेयरमैन शबीला अंसारी, अधिशासी अधिकारी वरुण,पूर्व अध्यक्ष निजाम अंसारी, क्लर्क शावेज अंसारी, नसीर अहमद आदि के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिये हैं। सरधना थाना पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक जांच पड़ताल शुरू कर दी है।रिपोर्ट दर्ज कराने के ये आदेश कोर्ट ने मोहम्मद लुकमान निवासी सरधना की याचिका पर दिये हैं। मोहम्मद लुकमान ने याचिका में कहा कि वह नगर पालिका परिषद सरधना में रजिस्टर्ड ठेकेदार है। उनकी फर्म कालन्दस एंटरप्राइजेज कई साल से यहां काम करती आ रही है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ठेकेदारी को लेकर पालिका अध्यक्ष शबीला अंसारी, पूर्व अध्यक्ष निजाम अंसारी, पूर्व निर्माण लिपिक विपिन कुमार, शावेज अंसारी,,नसीर अधिशासी अधिकारी अमिता वरुण ने ऐसा गिरोह बना रखा है जिसने परिषद की निविदाओं में जमकर भ्रष्टाचार मचा रखा है। आरोप लगाया गया है कि ये लोग हर निविदा में ठेकेदारों से कार्य करने की एवज में बीस प्रतिशत धनराशि पहले लेते हैं और फिर आपसी साठगांठ कर उसे ठेकेदार को ठेका दे देते हैं।याचिका में कहा गया है लुकमान ने एक टेंडर नंगला रोड से श्मशान के कोने तक का टेंडर उप्र टेंडरिंग पर अपलोड किया था। इस पर विपिन ने लुकमान से यह कहते हुए टेंडर वापस लेने के लिये कहा कि यह टेंडर किसी और को देना है। लुकमान ने मना किया तो विपिन ने उसकी फाइल से 648 रुपये का ड्राफ्ट हटा दिया। इसकी शिकायत आयुक्त से करने पर जांच हुई, जांच में दोषी पाते हुए विपिन कुमार को निलंबित कर दिया गया। साथ ही विपिन के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी गई ,इससे गिरोह के सभी सदस्य कुपित हो गये और उन्होंने लुकमान का 24 लाख अस्सी हजार रुपये का भुगतान रोक दिया। यह टेंडर निरस्त हो गया था लिहाजा लुकमान ने अपने एफडीआर तीन लाख साठ हजार की वापस मांगी तो इन लोगों ने यह कहते हुए एफडीआर देने में असमर्थता जता दी कि उसकी फाइल ही नहीं मिल रही है। इसकी शिकायत एसोसिएशन से की गई तो संबंधित लोगों ने शर्त रखी कि विपिन के खिलाफ दर्ज सभी शिकायतें वापस ले लें और बीस फीसदी कमीशन का भुगतान करें। आरटीआई से मालूम किया तो अधिशासी अधिकारी वरुण ने जवाब दिया कि लुकमान की कंपनी की फाइल कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं।लुकमान के मुताबिक इसकी शिकायत लोकल अधिकारियों से की गई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इस पर उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट ने सभी संबंधित लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिये हैं।