किसान आंदोलन के चलते बैक फुट पर आई भाजपा की केंद्र सरकार एमएसपी व अन्य मुद्दों पर किसानों से वार्ता करने के लिये तैयार हो गयी है। इन सभी मुद्दों पर बातचीत के लिये सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से पांच नेताओं के नाम मांगे हैं। गंभीर बात यह है कि इस आंदोलन के दौरान कई दौर की चली वार्ता के बाद सरकार की तरफ से बातचीत के सभी रास्ते बंद कर दिये गये थे। करीब एक दर्जन दौर की चली इन वार्ता में सरकार व किसान अपनी बात पर अडिग थे। अब तीन कृषि कानून वापस लेने व पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज न करने की कृषि मंत्री की घोषणा के बाद यह कयास लगने तेज हो गये हैं कि भाजपा आने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी वर्ग की नाराजगी मोल लेकर सत्ता के अपने रास्ते में कोई बाधा खड़ा नहीं करना चाहती।
इस बीच, किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि एमएसपी और मुद्दों पर पैनल के लिए सरकार ने किसान संघों से पांच नाम मांगे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) चार दिसंबर को होने वाली बैठक में नाम तय करेगा। वहीं, आंदोलनकारी किसानों के टीकरी बार्डर पड़ाव में मंगलवार को हर तरफ आंदोलन के खत्म होने को लेकर चर्चाएं चलती रहीं। ऐसे में राकेश टिकैत का यह बयान सामने आया कि आंदोलन को कमजोर करने के लिये इस तरह की अफवाह फैलायी जा रही हैं जबकि इस बात में कोई दम नहीं हैं। एमएसपी समेत अन्य मांगों पर जब तक कोई ठोस कदम सरकार द्वारा नहीं उठाया जाता, यह आंदोलन जारी रहेगा। वहीं बार्डर पर हुई सभा में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के मंच से हर किसान नेता ने कहा कि संगठन का शीर्ष नेतृत्व जो फैसला करेगा, उसका पालन किया जाएगा।