समाज के बारे में यदि हम गंभीर सवाल नहीं उठाते, तो यह और बड़ी महामारी-राजन
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समाज के बारे में यदि हम गंभीर सवाल नहीं उठाते, तो यह और बड़ी महामारी-राजन

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-आजादी के बाद कोरोना सबसे बड़ी चुनौती

-कई जगह सरकार मदद के लिये मौजूद नहीं थी

-भारत को सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम क्षेत्र को दिवालिया घोषित करने की जरूरत 

-दिक्षांत समारोह का भाषण सरकार विरोधी नहीं था, गलत पेश किया गया

 

नई दिल्ली l भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि आजादी के बाद कोविड-19 महामारी देश की संभवत सबसे बड़ी चुनौती है। कई जगहों पर विभिन्न कारणों से  सरकार लोगों की मदद के लिए मौजूद नहीं थी। महामारी के बाद यदि हम समाज के बारे में गंभीरता से सवाल नहीं उठाते हैं तो यह महामारी जितनी ही बड़ी त्रासदी होगी। वह दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए दिवालिया घोषित करने की एक त्वरित प्रक्रिया की आवश्यकता है।

 

मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेज में बतौर प्रोफेसर कार्यरत राजन ने कहा, ‘‘महामारी के चलते भारत के लिए यह त्रासदी भरा समय है। जब महामारी पहली बार आई तो लॉकडाउन की वजह से चुनौती मुख्यत: आर्थिक थी, लेकिन अब चुनौती आर्थिक और व्यक्तिगत दोनों ही है और जैसे हम आगे बढ़ेंगे तो इसमें एक सामाजिक तत्व भी होगा। देश में हाल के सप्ताहों के दौरान लगातार प्रतिदिन तीन लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और मृतकों की संख्या भी लगातार बढ़ी है।

भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में दिए अपने भाषण को याद करते हुए कहा राजन ने कहा, ‘‘मेरा भाषण सरकार की आलोचना नहीं थी…कई बार चीजों की कुछ ज्यादा ही व्याख्या की जा जाती है.’’ राजन के मुताबिक 31 अक्टूबर 2015 को आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह के उनके भाषण को प्रेस ने सांकेतिक विरोध के तौर पर देखा था।

 

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