अर्थ व्यवस्था डगमगाने व सरकार पर झूठा भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए श्रीलंका के नागरिक सड़क पर उतर आये हैं। राजधानी कोलंबो समेत पूरे देश में हिंसा व हंगामे का चल रहा है। प्रदर्शन के दौरान वाहनों को आग के हवाले किया जा रहा है। हालात यह है कि यहां महंगाई इस कदर चरम पर पहुंच गयी है कि लोगों को पेट भरना भी मुश्किल हो गया है। परीक्षाएं टाल दी गई हैं और बिजली 13 से 14 घंटे तक काटी जा रही है। दूध पेट्रोल से भी ज्यादा महंगा हो गया है। इन हालातों ने लोगों को सड़क पर आने के लिये बाध्य कर दिया है। हालात बेकाबू पाते हुए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कल देर रात इमरजेंसी का एलान कर दिया। श्रीलंका में आपातकाल लागू कर दिया गया है। नागरिक गोटाबाया राजपक्षे से राष्ट्रपति पद छोड़ने की अपील कर रहे हैं।

कल राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शन के लिए हजारों लोग जुटे। वे राष्ट्रपति से पद छोड़ने की अपील कर रहे हैं। आम नागरिकों का का कहना है कि आर्थिक बदहाली के लिए मौजूदा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार है। जनता के गुस्से की वजह ये है कि देश में फ्यूल और गैस की भारी कमी हो गई है. श्रीलंका सरकार के पास तेल आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की बड़ी कमी है. नतीजा लोगों को पेट्रोल-डीजल के लिए कई घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है. कोलंबो में हिंसा का दौर जारी है।

लोगों ने गाड़ियों में आगजनी की। पुलिस की गाड़ियों तक को नहीं छोड़ गया। सुरक्षा बल और आम लोग आमने-सामने आ गए हैं। नागरिकों पर फायर गैस छोड़ी जा रही है। हालात इतने बिगड़ गए कि स्पेशल टास्क फोर्स को बुलाना पड़ा, लेकिन हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं।

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक गजट जारी करते हुए एक अप्रैल से इमरजेंसी लागू करने का एलान कर दिया है। श्रीलंका में सरकार को बडा़ फैसला लेना पड़ा, क्योंकि जनता गुस्से में सड़कों पर उतर चुकी है।