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व्यापारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमें दर्ज होने पर हाईकोर्ट खफा, अवनीश अवस्थी ने दिया आश्वासन

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जालौन के व्यापारी ने दायर की थी याचिका

तमाम कागजात दिखाने के बावजूद दर्ज हुई रिपोर्ट

सरकार की मंशा को पहुंचती है इससे चोट

पुलिस के लिये जल्द जारी होगी गाइडलाइन-अवस्थी

 

प्रयागराज। यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा है कि व्यापारियों से जुड़े मामलों में पुलिस मनमाने तरीके से कार्रवाई नहीं करेगी। राज्य सरकार जल्द ही इस मामले में गाइडलाइन जारी करेगी। अपर मुख्य सचिव ने यह आश्वासन कोर्ट के उस कथन पर दिया है जिसमें कहा गया है कि यह लगातार देखने में आ रहा है कि पुलिस व्यापारियों के खिलाफ मनमाने तरीके से कार्रवाई कर रही है और उन पर धोखाधड़ी की धारा 420 के तहत मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।

दरअसल, श्री अवस्थी बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर अदालत में उपस्थित हुए थे। कोर्ट ने मंगलवार को जारी एक आदेश में अपर मुख्य सचिव गृह के अलावा एसपी जालौन रवि कुमार और नंदी गांव थाना जालौन के सब इंस्पेक्टर केदार सिंह को तलब किया था। जालौन के व्यापारी विशाल गुप्ता की याचिका पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने सुनवाई की। विशाल गुप्ता के  खिलाफ 20 फरवरी को नंदी गांव थाने में धोखाधड़ी और सरकारी आदेश के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसे कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि वह ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता है और अपने ट्रक पर सुपारी व तंबाकू लेकर जा रहा था। सब इंस्पेक्टर केदार सिंह ने उसकी गाड़ी रोक ली तथा वाहन पर लदे माल से संबंधित सभी वैध दस्तावेज दिखाने के बावजूद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया ।

कोर्ट के आदेश पर उपस्थित हुए अपर मुख्य सचिव गृह और एस पी जालौन ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और याची व्यापारी के खिलाफ दर्ज मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है ।

इस दौरान कोर्ट का कहना है कि पुलिस की इस मनमानी से राज्य सरकार की व्यापारियों को सहूलियत देने की नीति को धक्का लग रहा है। प्राथमिकी देख कर लग रहा है कि उसे जानबूझकर परेशान करने के इरादे से रिपोर्ट दर्ज की गई है। बता दें कि  इसके पूर्व कोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले में एसपी जालौन से जवाब मांगा था। मगर सुनवाई के दौरान उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। जिस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया और अधिकारियों को तलब किया था।

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