दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को कुछ अलग नजारा था। नेता प्रतिपक्ष की विदाई के दौरान पुराने पलों को याद करते हुए न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाव विभोर हो गये बल्कि गुलाम नबी आजाद भी मोदी की भांति अपने आंसू नहीं रोक पाये। गुलाम नबी ने देश से आतंकवाद के खात्मे और कश्मीरी पंडितों के आशियानों को फिर से आबाद किए जाने की कामना की।
आजाद ने अपने विदाई संबोधन में कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे। इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे। वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तो पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे। वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई, ‘खुदा तूने ये क्या किया… मैं क्या जवाब दूं इन बच्चों को… इन बच्चों में से किसी ने अपने पिता को गंवाया तो किसी ने अपनी मां को… ये यहां सैर करने आए थे और मैं उनकी लाशें हवाले कर रहा हूं।’
इसी कड़ी में आजाद ने कहा, ‘अल्लाह से… भगवान से… यही दुआ करते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए।’ जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में शहीद हुए केंद्रीय बलों और पुलिस के जवानों के साथ आम नागरिकों के मारे जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने कश्मीर के हालात ठीक होने की कामना की। उनका यह भी कहना था कि वह बेहद खुशनसीब हैं कि कभी पाकिस्तान नहीं गये।