बिजनौर में फंसा पेंच, सिसायत की बिरासत पर आरएलडी व बसपा की परीक्षा
- चंद घंटों में रालोद के महासचिव बन गये मलूक नागर
- मीरापुर सीट आ सकती है अब उनके पास
- बिजनौर सीट पर अब चुनाव होगा मुकाबले का
- मलूक ने चंदन चौहान खेमे में जान फूंक दी
- मुस्लिम मतदाता तय करेगा हार जीत का समीकरण
बसपा से इस्तीफा और एक घंटे बाद ही राष्ट्रीय लोकदल की सदस्यता और करीब छह घंटे बाद रालोद का राष्ट्रीय महासचिव बनकर मलूक नागर ने बिजनौर लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण बदल डाले हैं। मलूक नागर बिजनौर से मौजूदा सांसद हैं और बसपा से पिछले 18 साल से जुड़े हुए थे। दरअसल, विदुर की नगरी बिजनौर के चुनावी मैदान में भाजपा आरएलडी गठबंधन से चंदन सिंह और बसपा से विजेंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं। सांसद मलूक नागर का रालोद का दामन थामना निश्चित रूप से बसपा के लिए बड़ा झटका है। मलूक ने फिलहाल चुनावी माहौल में चंदन चौहान खेमे में नई जान फूंक दी है। लेकिन बसपा अपने कार्डर और मुस्लिमों की वजह से अपनी जीत तय मान रही है।
वहीं भाजपा.. किसानों के मसीहा चौ चरण सिंह को भारत रत्न देने के बाद बागपत व बिजनौर सीट को गठबंधन के लिये जीता हुआ मान रही है। पीएम मोदी मेरठ की जनसभा में आरएलडी के चंदन चौहान के लिये वोट मांग कर गठबंधन धर्म निभा चुके हैं। सीएम योगी.. बिजनौर का दौरा पहले ही कर चुके हैं, और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बिजनौर में चुनावी सभा कर जनता से चंदन सिंह चौहान को जिताने की अपील कर चुके हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि बिजनौर लोकसभा सीट पर हमेशा से ही पैराशूट प्रत्याशी जीतता आ रहा है और यही कारण है कि बिजनौर अपेक्षित विकास नहीं कर पाया है।
अगर बात करें लोकसभा चुनाव 2019 की तो इस सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। यहां से सपा बसपा गठबंधन प्रत्याशी मलूक नागर ने भाजपा के राजा भारतेंद्र सिंह को करीब 70 हजार वोट से हरा दिया था। बिजनौर जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं जिसमें 5 सीटें (बिजनौर, चांदपुर, हस्तिनापुर, पुरकाजी और मीरापुर सीट) बिजनौर लोकसभा सीट के तहत पड़ती हैं। यहां से केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, बसपा सुप्रीमो मायावती, लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार,अभिनेत्री जया प्रदा भी चुनाव लड़ चुकी हैं।1991 के बाद से भाजपा यहां पर चार बार चुनाव जीत चुकी है।
इस सीट का एक पहलू यह भी है कि यहां हिंदू मतदाताओं की संख्या भले ही ज्यादा हो लेकिन चुनाव में मुस्लिम ही निर्णायक भूमिका अदा करते आ रहे हैं। सपा ने यहां से दीपक सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया है। सैनी व मुस्लिमों के भरोसे सपा चुनावी मैदान में उतरी है। कुल मिलाकर इस सीट पर जीत का दारोमदार केवल मुस्लिमों के वोट पर निर्भर करता है।उसका झुकाव जिधर भी हुआ,उसका पलड़ा भारी हो जायेगा।
जहां तक बात छवि की है तो विजेंद्र सिंह पर सबसे अधिक 139 मुकदमे दर्ज हैं,इनमें बाइक बोट घोटाले से संबंधित केस भी हैं। विजेद्र सिंह ने अपने हलफनामे में 28 करोड़ रुपये की संपत्ति होने का दावा किया है। वहीं मलूक नागर की साफ छवि भी चंदन चौहान को फायदा पहुंचा सकती है। 2019 में दायर हलफनामे में मलूक ने ढाई सौ करोड़ की संपत्ति होने का दावा किया था।
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