पेगासस- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा जासूसी का कोई सबूत है, विपक्ष के वकील ने कहा-नहीं
BREAKING दिल्ली-एनसीआर देश-विदेश

पेगासस- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा जासूसी का कोई सबूत है, विपक्ष के वकील ने कहा-नहीं

75 Views

सरकार को नोटिस जारी करने की अपील

कोर्ट ने कहा यदि ऐसा है तो यह गंभीर मामला

कोर्ट ने पूछा अखबारों की कतरन के अलावा क्या है ?

अगर पक्का है तो अभी तक रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराई 

नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गयी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी और अगली तारीख 10 अगस्त तय कर दी। इससे पहले कोर्ट ने कहा कि अगर खबरें सही हैं तो आरोप बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने जब यह पूछा कि क्या उनके पास जासूसी का कोई सबूत है ? इस पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मना कर दिया।

आज मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपकी याचिका में अखबार की कतरन के अलावा क्या है ? हम क्यों इसे सुनें ? इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘यह टेक्नोलॉजी के जरिए निजता पर हमला है। सिर्फ एक फोन की जरूरत है और हमारी एक-एक गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है। यह राष्ट्रीय इंटरनेट सुरक्षा का भी सवाल है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम मानते हैं कि यह एक गंभीर विषय है, लेकिन एडिटर्स गिल्ड को छोड़कर सारी याचिकाएं अखबार पर आधारित हैं। जांच का आदेश देने के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिख रहा। यह मसला 2019 में भी चर्चा में आया था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि आप सभी याचिकाकर्ता पढ़े लिखे लोग हैं। आप जानते हैं कि कोर्ट किस तरह के मामलों में दखल देता है। इस पर सिब्बल ने कहा कि यह सही है कि हमारे पास कोई सीधा सबूत नहीं है. लेकिन एडिटर्स गिल्ड की याचिका में जासूसी के 37 मामलों का जिक्र है। सिब्बल ने व्हाट्स ऐप और एनएसओ के बीच कैलिफोर्निया की कोर्ट में चले एक मुकदमे का हवाला देते हुए कहा कि पेगासस जासूसी करता है, यह साफ है। भारत में किया या नहीं, इसका सवाल है.

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हमने पढ़ा है कि NSO सिर्फ किसी देश की सरकार को ही स्पाईवेयर देता है। कैलिफोर्निया केस का अभी क्या स्टेटस है? हमें नहीं लगता कि वहां भी यह बात निकलकर आई है कि भारत में किसी की जासूसी हुई। सिब्बल ने जवाब दिया कि संसद में असदुद्दीन ओवैसी के सवाल पर मंत्री मान चुके हैं कि भारत में 121 लोगों को निशाने पर लिया गया था। आगे की सच्चाई तभी पता चलेगी जब कोर्ट सरकार से जानकारी ले।

सीजेआई ने पूछा कि हमारे इस सवाल का जवाब नहीं मिला कि दो साल बाद यह मामला क्यों उठाया जा रहा है ? सिब्बल ने जवाब दिया, ‘सिटीजन लैब ने नए खुलासे किए हैं। अभी पता चला कि कोर्ट के रजिस्ट्रार और एक पूर्व जज का नंबर भी निशाने पर था। यह स्पाईवेयर मोबाइल का कैमरा और माइक ऑनकर के सभी निजी गतिविधियों को लीक करता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि अगर आपको पक्का पता है कि आपके फोन की जासूसी हुई तो आपने कानूनन FIR दर्ज क्यों नहीं करवाई ?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *