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जो चोर हैं उनकी तो जलेगी, कोई बुझा नहीं सकता… जय हिंद : कंगना रनौत

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  • 2014 में मिली असली आजादी-कंगना
  • जो पहले मिला है वह सिर्फ भीख थी
  • 1947 में क्या हुआ, कोई मुझे आकर बताये
  • 1957 की लड़ाई का तो बखूबी पता है
  • गांधीजी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया ?
  • विवादों के बीच रहने का शगल है कंगना का

आजादी को भीख बता कर नये विवादों में आयी फिल्मी कलाकार कंगना रनौत ने अब आग में घी डालने का काम किया है। ट्रोल करने वालों को जबाव देते हुए कंगना ने कहा कि अगर कोई उन्हें यह बताये कि 1947 में क्या हुआ था, कौन सा युद्ध लड़ा गया था तो वह अपने पदमश्री सम्मान लौटा देंगी। और अंत में कंगना ने यह भी जोड़ दिया कि जो चोर हैं उनकी तो जलेगी। कोई बुझा नहीं सकता… जय हिंद।

दरअसल, कंगना ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर यह जवाब दिया है। कंगना ने लिखा है, इंटरव्यू में मैंने सब कुछ बहुत स्पष्ट कर दिया था। 1857 में स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों के बलिदान के साथ शुरू हुई। 1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है। अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी। कृपया इसमें मेरी मदद करें।

कंगना ने कहा , ‘मैंने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पर बनी फीचर फिल्म में काम किया है। 1857 की लड़ाई पर काफी रिसर्च किया है। राष्ट्रवाद के साथ दक्षिणपंथ का भी उभार हुआ लेकिन यह अचानक खत्म कैसे हो गया ? और गांधीजी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया। आखिर क्यों नेता बोस की हत्या हुई और उन्हें कभी गांधी जी का सपोर्ट नहीं मिला ? ‘ ‘आखिर क्यों बंटवारे की रेखा एक अंग्रेज के द्वारा खींची गई? आजादी की खुशियां मनाने के बजाय भारतीय एक दूसरे को मार रहे थे। मुझे ऐसे कुछ सवालों के जवाब चाहिए जिसके लिए मुझे मदद की जरूरत है। जहां तक 2014 में आजादी की बात है, मैंने विशेष रूप से कहा था कि भौतिक आजादी हमारे पास हो सकती है, पहली बार अंग्रेजी न बोलने या छोटे शहरों से आने या भारत में बने उत्पादों का उपयोग करने के लिए लोग हमें शर्मिंदा नहीं कर सकते। जो चोर हैं उनकी तो जलेगी। कोई बुझा नहीं सकता… जय हिंद।

बता दें कि अभी हाल में ही एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में कंगना रनौत ने कहा था कि 2014 के बाद हकीकत में आजादी मिली है, इससे पहले जो मिला है वह आजादी नहीं बल्कि भीख थी। इसके बाद से ही वह लगातार विपक्ष और कुछ अपनों के ही निशाने पर आ गयी है।

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