कोर्ट ने पूछा-स्वच्छ गंगा मिशन में लापरवाह अफसरों के खिलाफ मुकदमे की अनुमति क्यों नहीं
प्रयागराज। स्वच्छ गंगा मिशन पर करोड़ों रुपये बहाया जा चुका है लेकिन हालात में अपेक्षित सुधार नजर नहीं आ रहा है। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि वह स्वच्छ गंगा मिशन को पलीता लगा रहे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति क्यों नहीं दे रही है। दरअसल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य सरकार से कानपुर नगर के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कर्तव्य निभाने में लापरवाही बरतने पर अभियोग चलाने की अनुमति मांगी है।
मै. तन्नर्स इंडिया की याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम एन भंडारी न जस्टिस आर आर अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि अधिकारियों की जवाबदेही तय किया जाना हमेशा के लिए उचित कदम है। बता दें कि पूर्व में कोर्ट यूपी जल निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिलाधिकारी कानपुर नगर के परस्पर विरोधाभाषी हलफनामे दाखिल करने पर नाराजगी प्रकट कर चुका है। कोर्ट ने सभी संबंधित अफसरों को बेहतर हलफनामे के साथ तलब किया था। कोर्ट ने साफ कहा था कि नालों का गंदा पानी बिना शोधित सीधे गंगा में जा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो कोर्ट अधिकारियों के वेतन रोकने पर विचार करेगा।
कोर्ट ने कहा कि कानपुर में 175 चर्म उद्योग चालू हैं। एस टी पी की शोधन क्षमता जब तक न बढे तब तक नयी टेनरी न खोली जाये। याची अधिवक्ता उदय नंदन व वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन का दावा है कि कानपुर नगर में 400 टेनरी चर्म उद्योग चल रहे हैं। जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि 271 टेनरी ही चालू है। कोर्ट ने कहा कि इसके सत्यापन की जरूरत है। इसलिए टेक्नोक्रेट व वकीलों की निगरानी टीम बनाकर मानीटरिंग कराया जाना चाहिए।