चार माह के मुख्यमंत्री हुए तीरथ सिंह रावत
कई अपरिपक्व बयान के कारण चर्चा में आये
संवैधानिक संकट के चलते दिया इस्तीफा
छह माह में सदस्यता नहीं प्राप्त कर सकते
कल भाजपा विधायक दल की बैठक
बतौर पर्यवेक्षक शामिल होंगे नरेंद्र सिंह तोमर
सतपाल महाराज व धन सिंह रावत दिल्ली तलब
देहरादून। चार माह बाद ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने जा रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री को अगले छह माह में दोबारा से विधानसभा सदस्य चुनकर आना था लेकिन संविधान ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। संवैधानिक संकट को देखते हुए आज शाम होते होते उत्तराखंड का मौसम गर्म हो गया और तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष को पत्र के साथ अपना इस्तीफा भेज दिया। हालांकि जिस तरह पिछले दो तीन दिन से तीरथ सिंह रावत दिल्ली में डेरा जमाये हुए थे उसे देखते हुए उच्च स्तरीय फेरबदल के संकेत मिल रहे थे। इसे लेकर व्यक्त किये जा रहे कयासों पर आज उन्होंने इस्तीफे की पेशकश करते हुए विराम लगा दिया। अब उत्तराखंड का नया सीएम कौन होगा, किसके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजेगा इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। चार नामों पर फिलहाल तेजी से चर्चा चल रही है। इनमें सतपाल महाराज का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। हालांकि जब तक इसकी घोषणा नहीं हो जाती,तब तक इंतजार ही किया जा सकता है। सूत्रों ने दावा किया है कि तीरथ सिंह रावत एयरपोर्ट से सीधे राजभवन जा रहे हैं।
इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे पत्र में तीरथ सिंह रावत ने जनप्रतिधि कानून की धारा 191 ए का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि वह अगले छह माह में चुनकर दोबारा नहीं आ सकते हैं। यह एक संवैधानिक बाध्यता है, इसलिए अब पार्टी के सामने वह कोई संकट नहीं पैदा करना चाहते, अत अपने पद से इस्ताफा दे रहे हैं। उनकी जगह अब किसी अन्य को नेता चुना जा सकता है। मुख्यमंत्री रावत ने इस्तीफे की औपचारिकता पूरी करने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है। सूत्रों का कहना है कि वक्त मिलते ही तीरथ सिंह रावत गवर्नर हाउस पहुंचकर आधिकारिक तौर पर गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप देंगे।
उत्तराखंड में बीजेपी आलाकमान किसको अगला सीएम बनाएगी, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन अभी चार नेताओं के नाम आगे चल रहे हैं। इनमें सतपाल महाराज, रेखा खंडूरी, पुष्कर सिंह धामी और धन सिंह रावत शामिल हैं।
आपको याद दिला दें कि अपने कई बयानों को लेकर तीरथ सिंह रावत चर्चा में आये हैं। उनके अपरिपक्व बयानों के कारण पार्टी को भी किरकिरी व विपक्ष को सवाल उठाने का मौका मिला था।