- किरण गोसावी व मनीष भानुशाली लगातर मौजूद रहे रेड व गिरफ्तारी में
- किरण एनसीबी अफसर की तरह रेड में सक्रिय था
- किस हैसियत से वह आर्यन को पकड़ कर भागते हुए कार में बैठा रहा था
- एनसीबी चीफ की कार्यप्रणाली पर भी अब उठे सवाल
- हल्फनामे में आठ करोड़ चीफ को देने की बात कही गई
मुंबई। किरण गोसावी व भाजपा नेता मनीष भानुशाली का एनसीबी दफ्तर में खुले आम चहलकदमी करना, हिरासत में लिये गये आर्यन खान के साथ सेल्फी लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान तक आर्यन को तेजी से निकलने जैसे सामने आये तमाम वीडियो व फोटोग्राफ से यह सवाल तो उठा कि आखिर ये कौन लोग हैं और किस आधार पर आफिशियल अफसर की तरह काम कर रहे हैं लेकिन किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं था। विश्वसनीयता के तार तार होते दामन को बचाने के लिये तब एनसीबी ने पल्ला जरूर झाड़ने की कोशिश की थी लेकिन आज बेहद चौकाने वाले मोड़ ने संपूर्ण प्रकरण को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। संपूर्ण घटनाक्रम के प्राइम विटनेस किरण गोसावी के बार्डीगार्ड प्रभाकर सैल ने एक हल्फनामा देकर एनसीबी चीफ समेत तमाम लोगों के दामन को दागदार कर दिया है। हल्फनामे में कहा गया है कि गोसावी ने आर्यन खान को छोड़ने की एवज में 25 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह मांग गोसावी ने एनसीबी चीफ समीर वानखेड़े की ओर से की थी।
प्रभाकर सैल ने अपने नोटरीकृत हलफनामे में कहा है कि वह क्रूज रेड के बाद हुए ड्रामे के दौरान मौजूद था। उन्होंने किरण गोसावी और सैम नाम के एक शख्स को एनसीबी के दफ्तर के पास मिलते देखा था। गोसावी और सैम लोअर परेल गए थे, जहां एक ब्लू कलर की गाड़ी वहां आई। प्रभाकर सैल का दावा है कि उन्होंने शाहरुख खान की मैनेजर पूजा डडलानी को उस ब्लू गाड़ी में बैठे देखा था। पूजा से 25 करोड़ रुपये मांगे गये थे लेकिन सौदा 18 करोड़ में तय हो गया था। गोसावी ने पूजा को बताया था कि इसमें से आठ करोड़ समीर वानखेड़े को जायेंगे जबकि बाकी पैसे दूसरे लोगों में बटेंगे। अगले दिन गोसावी ने प्रभाकर को टोरेडो भेजा गया जहां मिली एक सफेद गाड़ी सवार ने उसे पचास लाख रुपये का बैग दिया।
गोसावी के निर्देश पर यह बैग उसने सैम को दिया। सैम ने बताया कि इसमें 12 लाख रुपये कम हैं, जिस पर मोबाइल पर गोसावी ने सैम से वादा किया कि बाकी पैसे दो से तीन दिन में लौटा दिये जायेंगे। प्रभाकर सैल ने अपने हल्फनामे में कहा है कि उससे पंचनामा पेपर बताते हुए काली कागज पर हस्ताक्षर कराये गये थे। बकौल प्रभाकर वह क्रूड पर हुई रेड के बाद हुए ड्रामे का गवाह है। बकौल प्रभाकर वह उस वक्त तक गोसावी का बाडीगार्ड था।
आपको याद दिला दें कि आर्यन खान के साथ ली गयी सेल्फी व एनसीबी अफसर की तरह कार्य करते बनायी गयी वीडियो सामने आने व एनसीपी के बड़े नेता व महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी व भाजपा नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया था। नवाब मलिक ने मीडिया के वीडियो दर वीडियो पेश कर सवाल खड़े किये थे कि गोसावी व भानुशाली वहां एनसीबी के साथ किस हैसियत से काम कर रहे थे ?
अब ताजे हल्फनामे व संपूर्ण घटनाक्रम को संदेह के दायरे में लाने वाले इस खुलासे के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि प्राइम विटनेस प्रभाकर का हल्फनामा चौकाने वाला हैं वहीं नवाब मलिक ने कहा कि अंत में सत्य की ही जीत होगी। नवाब मलिक लगातार सबूतों के जरिये एनसीबी चीफ समीर वानखेड़े पर हमले करते आ रहे हैं।
प्रभाकर सैल द्वारा लगाये गये आरोपों व दावों के बाद तमाम सवाल खडे़ हो गये हैं। एक बड़ा सवाल यह भी कि गोसावी व भानुशाली को रेड व गिरफ्तारी में जाने का मौका कैसे मिला और किसने दिया ? दूसरा-गोसावी के फोन पर आर्यन खान की किससे बात हुई थी और क्या ? क्या वाकई में शाहरूख की मैनेजर पूजा डडलानी गोसावी व सैम से लोअर परेल में मिली थी ? पचास लाख रूपये प्रभाकर को किसने व क्यों दिये थे ?