अंतत: डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की सक्रिय राजनीति में वापसी
एक लंबे अर्से बाद ही सही लेकिन प्रदेश की राजनीति में प्रखर रहे डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भाजपा ने राज्यसभा भेजने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। आज प्रत्याशियों की जारी सूची में डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को जगह दी गई है। उनके साथ ही डा. राधा मोहन अग्रवाल को भी प्रत्याशी घोषित किया गया है। डा. राधा मोहन की जगह ही यूपी विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ लड़े औऱ जीते थे। तभी से समझा जा रहा था कि डा. राधा मोहन अग्रवाल को जल्द ही राज्यसभा में बैठाया जायेगा। डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के प्रत्याशी घोषित होते हुए जहां उनके पुराने समर्थकों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं पार्टी नेतृत्व का यह कदम कहीं न कही ब्राह्मण वोटो को साधने का जरिया भी माना जा रहा है। कुल मिलाकर एक लंबे अर्से बाद ही सही लेकिन डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की सक्रिय राजनीति में भूमिका तय कर दी गई है।
भारतीय जनता पार्टी पिछले दिनों कोर कमेटी की बैठक में 20 से अधिक नामों का पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेज चुकी है। फिर उसमें क्षेत्रीय-जातीय समीकरणों के आधार पर कुछ नाम और जोड़ दिए गए थे। रविवार को जारी सूची में डा लक्ष्मीकांत बाजपेयी और डा. राधामोहन दास अग्रवाल के अलावा सुरेन्द्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद, दर्शना सिंह और संगीता यादव के नाम शामिल हैं।
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दरअसल, यूपी कोटी की राज्यसभा की 11 सीटे रिक्त हो रही हैं। विधायकों की वोटों के गणित के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन 11 में से आठ सीटों पर भाजपा की जीत तय है, जबकि तीन प्रत्याशी सपा के जीत जायेंगे। भाजपा ने आज छह नाम घोषित किये हैं, दो नाम अभी और बाकी हैं। यह भी कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को भी राज्यसभा में एडजेस्ट कर सकती है।
यह भी बता दें कि विधानसभा चुनाव में डा. राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट कट गया था। उनकी गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़कर जीते थे। ऐसे में डा. राधामोहन को राज्यसभा में समायोजित किया गया है। लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों को साधे रखने के लिए पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भी राज्यसभा का टिकट दिया गया है। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। हमीरपुर निवासी राज्य वित्त विकास निगम के अध्यक्ष बाबूराम निषाद को भी राज्यसभा भेजा जा रहा है। इस चुनाव के लिये दस जून को मतदान होना है। प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सपा गठबंधन के 125 सदस्य हैं। एक राज्यसभा सीट के लिये 34 विधायकों का कोटा होना चाहिये। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सपा आसानी से अपने तीन प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेज सकती है।
चार बार विधायक एवं एक बार प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके डा. लक्ष्मीकांत 2012 से 2016 तक प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। उनकी अगुआई में यूपी में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 80 में से रिकार्ड 71 सीटें मिली थीं। उधर, नोएडा के सुरेंद्र नागर को लगातार दूसरी बार पार्टी राज्यसभा भेजेगी। इस बहाने पार्टी ने पश्चिम उप्र में ब्राह्मण एवं गुर्जर समीकरण को भी साधा है।