बातचीत के बंद दरवाजे खोलने को सरकार व किसान तैयार
नई दिल्ली। लंबे समय से चला आ रहा किसानों का आंदोलन अब एक बार फिर से बातचीत के बंद दरवाजे तक पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कृषि कानूनों में कोई कमी हो तो उसे ठीक किया जायेगा, कोई ढिलाई हो तो उसे कसा जायेगा। किसान आंदोलन अब खत्म कर दें और अपने घरों को लौंट जायें। पीएम की इस अपील का असर देखने में आय़ा है। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यदि पीएम मोदी बातचीत करना चाहते हैं हमारा मोर्चा और कमेटी बातचीत करने के लिये तैयार हैं। हमारे पंच भी वही हैं और हमारा मंच भी वही है. एमएसपी पर क़ानून बने यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब दे रहे हैं। विपक्ष के भारी हंगामे के बीच प्रधानमंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन पर राजनीति हावी हो रही है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी। एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा। इसलिए किसान आंदोलन खत्म कर दें। वहां बहुत बुजुर्ग लोग बैठे हुए हैं, सभी अपने घर जाएं.”
प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील पर भाकियू नेता राकेश टिकैत ने भी सकारात्मक रूख दिखाया है। टिकैत ने कहा कि अगर पीएम मोदी बातचीत करना चाहते हैं तो हमारा मोर्चा और कमेटी बातचीत करने के लिए तैयार हैं। लेकिन देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा। अनाज की कीमत भूख पर तय नहीं होगी, भूख पर व्यापार करने वालों को देश से बाहर निकाला जाएगा। देश में आज पानी से सस्ता दूध बिक रहा है। किसानों की दूध पर लागत ज्यादा आ रही है, लेकिन उसको दाम कम मिल रहा है। दूध का रेट भी फिक्स होना चाहिए। राकेश टिकैत का यह भी कहना है कि जिस तरह प्रधानमंत्री ने मोदी जनता से गैस पर सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, उसी तरह अब उन्हें सांसदों और विधायकों से पेंशन न लेने की अपील करनी चाहिये। ‘’अगर सांसद और विधायक पेंशन छोड़ देंगे तो किसान भारतीय यूनियन उनका धन्यवाद करेगा।
बता दें कि कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए किसान आंदोलनरत हैं। दिल्ली की सीमाओं पर उनका आंदोलन दो माह से ज्यादा समय से चल रहा है। इस दौरान सरकार की तरफ से किसान नेताओं से कई दौर की वार्ता हुई। सरकार ने डेढ़ साल तक कानून के लागू करने पर रोक लगाने की बात भी कही लेकिन किसान कानून रद्द करने की जिद पर अड़े हैं। किसानों के इस रूख के बाद सरकार ने साफ कर दिया है कि इससे ज्यादा वह किसानों के लिये कुछ और नहीं कर सकते हैं। साथ ही वार्ताओं के दौर पर भी विराम लगाते हुए एक तरह से बातचीत के रास्ते बंद कर दिये थे लेकिन प्रधानमंत्री की अपील और राकेश टिकैत के सकारात्मक रूख से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब जल्द ही किसानों व सरकार के बीच बातचीत के दौर पर जमी बर्फ पिघलने जा रही है। बता दें कि 26 जनवरी की दिल्ली हिंसा के बाद एक बारगी लगा था कि अब आंदोलन खत्म हो जायेगा लेकिन अंतिम समय में पासा पलटा और आंदोलन ने नया रूप ले लिया। छह फरवरी को किसानों ने देश भर में चक्का जाम की घोषणा की थी।