- फ्लाइट डेटा रिकार्डर से होगी हादसे के कारणों की जांच
- सोलह किलोमीटर पहले ही हो गया हादसा
- सभी शव अस्सी फीसदी से ज्यादा जले हुए
- शिनाख्त में मुश्किल, डीएनए से होगी जांच
- पत्नी मधुलिका समेत कुल 14 लोग थे सवार
सीडीएस बिपिन रावत जिस हेलीकाप्टर में सवार थे, वह हेलीपैड से महज सोलह किलोमीटर या यह कहा जाये कि सिर्फ पांच मिनट की दूरी पर था। हेलीकाप्टर पांच मिनट और सुरक्षित उड़ता तो सभी कुशल से लैंड कर चुके होते लेकिन अनहोनी को कुछ और ही मंजूर था । देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अब कल सदन में हादसे की जानकारी साझा करेंगे। हेलीकाप्टर में सवार चौदह में से तेरह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हेलीकाप्टर में सवार इन चौदह लोगों में सीडीएस बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका भी सवार थी।
जनरल रावत का यह था शेड्यूल
- एक स्पेशल एयरक्राफ्ट के ज़रिए बुधवार सुबह करीब 9 बजे जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत नौ लोग दिल्ली से रवाना हुए और करीब 11 बजकर 35 मिनट पर एयरफोर्स स्टेशन सुलूर पहुंचे।
- करीब 10 मिनट बाद 11 बजकर 45 मिनट पर एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से दिल्ली से आए 9 लोग और पांच क्रू के सदस्य यानी कुल 14 लोग वेलिंगटन आर्मी कैंप के लिए हेलिकॉप्टर से रवाना हुए।
- दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर नंचापा चातरम के कट्टेरिया इलाके में 14 लोगों से भरा हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ।
- हेलिकॉप्टर ने एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से उड़ान भरने के बाद करीब 94 किलोमीटर का सफर तय किया था जब वो और कट्टेरिया इलाके में क्रैश हो गया।
- दुर्घटनास्थल और हेलिकॉप्टर की मंज़िल में सिर्फ करीब 16 किलोमीटर का फासला बचा था. यानी वेलिंगटन आर्मी कैंप से 16 किलोमीटर पहले ही जनरल रावत का हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया।
- बड़ी बात ये है कि जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर अगर पांच मिनट और उड़ता तो वो अपनी मंज़िल पर पहुंच जाता, लेकिन रास्ते में ही अनहोनी हो गई।
देश के पहले सीडीएस हैं बिपिन रावत
आर्मी चीफ के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद जनरल बिपिन रावत को सीडीएस बनाया गया था। वह देश के पहले सीडीएस हैं। मोदी सरकार ने यह नियुक्ति की थी। सीडीएस का मुख्य कार्य तीनों सेनाध्यक्षों से तालमेल बनाना है। आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे। वह 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गए थे। जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में LoC, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था। अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था।