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निजीकरण के विरोध में देश के नौ लाख बैंक कर्मचारी आज से दो दिवसीय हड़ताल पर

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  • सरकार ला रही है बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक
  • इसी संसद सत्र में लाया जायेगा यह विधेयक
  • इससे बैंकों के निजीकरण की राह हो जायेगी आसान
  • इस सप्ताह तीन दिन बंद रहेंगे बैंक, होगी परेशानी

सरकार द्वारा किये जा रहे निरीकरण का विरोध करते हुए देश भर के बैंक आज से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गये हैं। बीते दिवस अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त की मौजूदगी में हुई बैठक में हड़ताल को रोकने की कोशिश की गई लेकिन यूनियनों ने अपने फैसले पर कायम रहने का निर्णय सुना दिया। इस तरह 16 व 17 दिसम्बर को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे जबकि 19 को रविवार होने के कारण बैंक बंद रहेंगे। जाहिर है कि इस दौरान ग्राहकों को परेशानी उठानी पड़ेगी।

दरअसल, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियन (UFBU) ने दो दिन की हड़ताल करने का ऐलान किया है। इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र की 4000 से भी ज्यादा ब्रांच में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी शामिल होंगे। जिनकी संख्या करीब नौ लाख बतायी गयी है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के प्रदेश संयोजक महेश मिश्रा ने मीडिया को बताया था कि भाजपा की केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लेकर आ रही है जिससे भविष्य में किसी भी सरकारी बैंक को निजी क्षेत्र में देने का रास्ता साफ हो जाएगा। बैंक कर्मचारी व अधिकारी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ 16 व 17 दिसंबर की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल पर रहेंगे।

दरअसल निजीकरण के खिलाफ बैंकों की इस स्ट्राइक में खासतौर पर इस बिंदु को रखा गया है कि यदि बैंकों का निजीकरण हुआ तो इसकी मार बैंक कर्मियों के अलावा इन बैंकों में खाता रखने वाले ग्राहकों पर भी पड़ेगी। सबसे ज्यादा उन खाताधारकों पर इसका असर पड़ेगा जो निम्न वर्ग से आते हैं। ऐसे खाते जो जीरो बैंलेंस अकाउंट होते हैं उन्हें खोलने के लिए सरकारी बैंकों में जिस तरह से सहयोग दिया जाता है वो निजी बैंकों में किसी भी तरह से देखा नहीं जाता है। इसके अलावा सरकारी बैकों पर वैसे ही काम का बोझ ज्यादा है और जो अधिकारी व बैंककर्मी सालों से सरकारी बैंकों में काम करते हैं उनको एकाएक निजी बैंक कर्मियों का स्टेटस देने का जो प्रयास है उसे सफल न होने देने के लिए ये 2 दिन की स्ट्राइक की जा रही है।

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