कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतजार हर किसी को है. आमतौर पर वैक्सीन को बनने में 8 से 10 साल लगते हैं, लेकिन कोरोना महामारी ने जिस तरह का आतंक मचाया, उसे देखते हुए वैक्सीन को कम समय में तैयार करने के लिए दुनिया के कई देशों को मजबूर होना पड़ा. भारत भी उन देशों में शुमार है जो कोरोना की वैक्सीन बना रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को बताया कि कोरोना महामारी के प्रभाव को देखते हुए हम 16 से 18 महीने के भीतर इस वैक्सीन को तैयार कर रहे हैं.राजेश भूषण ने कहा कि वैक्सीन बनने में 8 से 10 साल लगते हैं. सबसे जल्दी बनने वाली वैक्सीन भी 4 साल में तैयार होती है. लेकिन कोरोना महामारी के असर को देखते हुए हम इसे कम समय में बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हम कोरोना की वैक्सीन को 16 से 18 महीने के अंदर बना रहे हैं.वहीं, राजेश भूषण ने ये भी कहा कि पूरे देश के टीकाकरण की बात सरकार ने कभी नहीं कही. उन्होंने कहा कि साइंस से जुड़े विषयों पर जब हम चर्चा करते हैं तो बेहतर होता कि यदि हम तथ्यात्मक जानकारी हासिल करें और उसके बाद विश्लेषण करें.प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने कहा कि मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी नहीं कहा है कि पूरे देश का टीकाकरण किया जाएगा. टीकाकरण वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य कोविड-19 संक्रमण की कड़ी को तोड़ना है. अगर हम जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन देने में सफल होते हैं और संक्रमण की कड़ी को तोड़ने में सफल होते हैं तो पूरी आबादी के टीकाकरण की जरूरत ही नहीं होगी ।।
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