गाजियाबाद के सिपाही का शव 16 साल बाद मिला, गहरी खाई में गिरने से बर्फ में दब गये थे ।।
- गहरी खाई में गिर गये थे अमरीश
- बर्फ पिघलने के बाद मिला शव
- घर पर लगा जमावड़ा
- माता-पिता को हो चुका है देहांत
सेना में तैनात एक सिपाही का पार्थिव शरीर बर्फ में दबा हुआ मिला. 23 सितंबर 2005 को गहरी ज़िगज़ेग खाई में गिर जाने के कारण सिपाही बर्फ में दब गए थे, और सोलह साल बाद अब उनका शव मिला है. जिसे मंगलवार तक गाजियाबाद लाया जाएगा, जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा । इसे कुदरत का करिश्मा ही कहा जायेगा, जब एक पर्वतारोही सिपाही का पार्थिव शरीर 16 साल बाद उसी तारीख को बर्फ में दबा मिला जिस तारीख को हादसे में वो बर्फ में दफन हो गए थे. गाजियाबाद के रहने वाले अमरीश त्यागी ने साल 1995 में सेना में भर्ती ली थी, जिसके बाद उनकी तैनाती कई जगह हुई, जिसमें कि, कारगिल के युद्ध के समय में भी वह कारगिल में तैनात थे, इतना ही नहीं सिपाही अमरीश हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर कई बार तिरंगा भी फहरा चुके थे और इस बार भी सितंबर 2005 में वह उत्तराखंड की हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर ध्वजारोहण कर कर जब अपनी टीम के साथ वापस आ रहे थे तो 23 सितंबर को गहरी खाई में गिर जाने के कारण 4 सिपाही जिनमें अमरीश भी शामिल थे बर्फ में दब गए. हालांकि रेस्क्यू कर तीन सिपाहियों के पार्थिव शरीर को निकाल दिया गया था, मगर अमरीश का पार्थिव शरीर नहीं मिल पाया था, लेकिन ठीक 16 साल बाद 23 सितंबर 2021 को आर्मी कैंप की तरफ से आई एक कॉल ने अमरीश के परिवार में खलबली मचा दी, क्योंकि खबर ही कुछ ऐसी भी गई थी । अमरीश के परिजनों को आर्मी वालों ने बताया कि, अमरीश का पार्थिव शरीर 16 साल बाद बर्फ पिघलने के बाद उसी जगह से बरामद किया गया है, जहां उनके साथ वह पूरी दुर्घटना हुई थी. जिसके बाद जहां एक ओर परिजनों में उनकी शहादत को लेकर थोड़ी सी मायूसी है, तो वहीं दूसरी ओर उनके पार्थिव शरीर को 16 साल बाद पाने की खुशी भी उनके चेहरे पर साफ देखी जा रही थी. उनके परिजनों का कहना था कि उन्हें उन्हें उम्मीद थी की अमरीश जरूर वापस आएंगे चाहे किसी भी सूरत में वापस आए. अमरीश के भाइयों के मुताबिक अमरीश शुरू से ही दिलेर थे और वह कहीं भी फस जाए तो बड़ी ही बहादुरी के साथ वहां से निकल आते थे. यही कारण था कि उन्हें उम्मीद थी कि अमरीश की खबर उनके पास कभी ना कभी जरूर आएगी. हालांकि इस दौरान अमरीश के माता और पिता दोनों ही की मौत हो गई और आखिरी क्षणों में भी वह अमरीश को याद ही करते रहे । वहीं, दूसरी ओर जैसे ही अमरीश के पार्थिव शरीर के मिलने की सूचना पूरे गांव को मिली तो गांव का जमावड़ा अमरीश के घर पर आना शुरू हो गया. साथ ही उनके रिश्तेदार भी घरों पर आना शुरू हो गए. अमरीश के भाई के मुताबिक सेना की तरफ से किए गए फोन कॉल में उन्हें यह बताया गया कि, अमरीश के पार्थिव शरीर को मंगलवार सुबह तक गाजियाबाद के मुरादनगर थाना क्षेत्र में उनके पैतृक गांव में लाया जाएगा. जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. हालांकि इस दौरान बात करते-करते उनके भाई कई बार भावुक भी हुए और उनके फोटो को देखते हुए नजर भी आए । पूरे इलाके में जिसे भी अमरीश के पार्थिव शरीर के मिलने की सूचना पाकर उनके घर पहुंच रहे हैं. सभी के सभी वह लोग हैरान भी हैं और इस बात को लेकर खासा खुश भी हैं कि, अमरीश के पार्थिव शरीर को उनके गांव की मिट्टी में ही विलीन किया जाएगा. हालांकि अमरीश के पिता भी सेना में ही थे और सन 1962 और 1965 की लड़ाई में भी उन्होंने अपना योगदान दिया था, लेकिन आखिरी वक्त में अपने बेटे के अंतिम दर्शन भी ना कर पाने का मलाल उनके साथ रहा जिसके चलते ही अमरीश के माता और पिता दोनों का देहांत भी हो चुका है ।।