- सुरक्षा के कड़े दावों के बीच 26 दिन में 10 हत्याएं
- कश्मीर को 90 के दशक में ले जाने का आतंकियों का प्रयास
- कब, कौन, कहां आतंकियों का निशाना बन जाये, सता रहा ये डर
- राहुल भट्ट के इलाके से 150 परिवार कर चुके पलायन
- लगातार हो रही हत्याओं ने पलायन के लिये किया मजबूर
- गैर मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं आतंकी
- हिंदुओं का घाटी में सुरक्षित रहना हुआ मुहाल
जम्मू कश्मीर घाटी में चारों तरफ गम, गुस्सा व बेबसी का आलम है। धारा 370 खत्म हो गयी लेकिन दहशतगर्दों की मनमर्जी नहीं। पिछले 26 दिन में दस टारगेटिड हत्या कर इन दहशतगर्दों ने कश्मीर को 90 के दशक में ला खड़ा करने का प्रयास किया है। सरकार सुरक्षा देने के दावे कर रही है और आतंकवादी खुले आम हत्या। इस हालात में कश्मीर से एक बार फिर से हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया है। 12 मई को मारे गये राजस्व अधिकारी राहुल भट्ट के इलाके में साढ़े तीन सौ परिवारों में से 150 परिवार वहां से चले गये हैं। घर छोड़ने की बेबसी, गुस्सा और गम के हालात को देखते हुए कश्मीरी हिंदुओं ने घाटी में सभी जगह टारगेटिड हत्याओं के विरोध में किये जा रहे प्रदर्शन स्थगित कर दिये है।
साथ ही इस साल खीर भवानी मेले के विरोध का भी ऐलान इन कश्मीरी पंडितों ने कर दिया है। कश्मीरी हिंदुओं में अब इस बात का डर है कि पता नहीं, कौन, कब किसे गोली मार दे। दहशतगर्द सरकारी कर्मचारी, प्रवासी मजदूर, टीवी आर्टिस्ट, बैंक मैनेजर को आतंकी अपना निशाना बना रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में आतंकियों ने केमिस्ट एमएल बिंद्रू की हत्या कर दी थी. उसके बाद से ही आतंकी लगातार गैर-मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं।