कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को छह माह पूरे, आज मना रहे ‘काला दिवस’
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को छह माह पूरे, आज मना रहे ‘काला दिवस’

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-किसान आंदोलन को छह माह हुए पूरे

-घरों व कारों पर काले झंडे लगाने की अपील

-मोदी सरकार का पुतले जलाने का भी आह्वान

-आज ही केंद्र सरकार के सात साल पूरे

 

 

कांग्रेस समेत 14 प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई तो किसान आंदोलन भी वहीं पहुंच गया जहां से शुरू हुआ था। दिल्ली सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को आज छह माह पूरे हो गए। इस पर आज किसानों ने मोदी सरकार के विरोध स्वरूप काले झंडे लगाने की घोषणा कर दी है। संगठनों ने सभी किसानों व नागरिकों से अपने घरों पर काले झंडे लगाने व मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान भी किया है। दिलचस्प बात यह भी है कि आज ही केंद्र की मोदी सरकार के सात साल पूरे हुए हैं।

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि उन्होंने किसानों से अपील की है कि जिस तरह कोरोना में दुर्दशा हुई और लोगों की जान गई है, इसलिए कोई कार्यक्रम करने या भीड़ जुटने के कारण वो स्थिति फिर से पैदा न हो। प्रदर्शन करने या लोगों को इकट्ठा करने की इजाजत नहीं है। यदि कोई व्यक्ति गैरकानूनी काम करेगा या कोरोना नियमों को तोड़ने का प्रयास करेगा तो हम उस पर सख्त कार्रवाई करेंगे। सीमाओं पर, यानी धरनास्थलों पर सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है।

बता दें कि देश के 14 प्रमुख विपक्षी दलों ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत देशव्यापी विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दे दिया है। इन राजनीतिक दलों में प्रमुख रूप से  कांग्रेस, जेडीएस, एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, डीएमके, झामुमो, जेकेपीए, सपा, बीएसपी, आरजेडी, सीपीआई, सीपीएम और आम आदमी पार्टी शामिल हैं।  इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम)  21 मई को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में तीन कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह कर चुका है।

आपको याद होगा कि 26 नवंबर से दिल्ली की तीन सीमाओं पर आंदोलन कर रहे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ केंद्र सरकार ने 11 दौर की बातचीत में कानूनों को स्थगित कर आगे की चर्चा के लिए कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन कानून रद्द करने की मांग कर रहे किसान नेताओं ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

 

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