किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति खारिज की, कहा इसमें सरकार के पक्षधर है शामिल ।।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाकर किसानों से बातचीत के लिए गठित समिति पर आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी ने भी सवाल खड़ा कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दो टूक अंदाज में कहा कि समिति के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के ही लोग हैं, इसलिए उनकी सिफारिश भी सरकार के पक्ष में ही आएगी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि समिति को 2 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी होगी और उसे अपनी पहली बैठक 10 दिनों के अंदर ही करनी होगी।
टिकैत ने एक समाचार चैनल पर बातचीत के दौरान समिति के सदस्यों के नाम लेते हुए कहा कि ये सभी बाजारवाद और पूंजीवाद के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि इन्होंने ही तो कृषि सुधार के लिए इस तरह के कानून लाने की सिफराशि सरकार से की थी तो इनसे किसानों के हित में सोचने की क्या उम्मीद की जा सकती है। बीकेयू प्रवक्ता ने कहा, “अशोक गुलाटी कौन हैं? बिलों (कृषि विधेयकों) की सिफारिश इन्होंने ही की थी। भूपेंदर सिंह मान पंजाब से हैं। अमेरिकन मल्टिनैशनल जो है, शरद जोशी तो उन्हीं के साथ काम करते थे। महाराष्ट्र शेतकारी संगठन के लोग हैं, एक ही तो विचारधारा है जो बाजार के, पूंजीवाद के पक्षधर हैं।” टिकैत यहीं नहीं रुके और साफ-साफ कहा कि कमेटी सरकार के पक्ष में ही फैसला देगी। उन्होंने कहा, “जो कमेटी बनी है, वो सरकार के पक्ष में ही फैसला देगी। इनसे आज बुलवा लो या 10 दिन के बाद रिपोर्ट दे दें, फैसला तो सरकार के पक्ष में ही देंगे। कौन सा किसान है इसमें।” टिकैत के इस आरोप पर भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि खुद राकेश टिकैत कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने जून 2020 में प्रकाशित एक खबर का हवाला देकर कहा कि राकेश टिकैत ने नए कृषि कानूनों का स्वागत करते हुए इन्हें किसान हितैषी बताया था । किसान नेता बलवंत सिंह राजेवाल ने कहा कि समिति में जिन सदस्यों को शामिल किया गया है, वे सरकार के समर्थक रहे हैं और कानूनों को सही ठहराते रहे हैं। किसान नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि किसानों के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने के लिए समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों का आन्दोलन शांतिपूर्ण और अनिश्चितकालीन है ।।