मेरठ में ब्लैक फंग्स की दस्तक, दो मरीज हुए संक्रमित, दोनों गंभीर
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मेरठ में ब्लैक फंग्स की दस्तक, दो मरीज हुए संक्रमित, दोनों गंभीर

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-नाक के रास्ते घुस कर फेफड़ों व चेहरे पर करता है अटैक

-हवा में रहता है यह फंग्स, इसलिये ज्यादा फैलता है

मेरठ। कोरोना के नये वैरियेंट ने सभी की पेशानी पर बल डाल दिये हैं। यह वैरियेंट फंग्स के रूप में सामने आया है जो नाक के रास्ते फेफड़ों व आंख पर सीधा हमला कर रहा है। यूपी के मेरठ में दो कोरोना संक्रमितों में यह फंग्स देखने में आया है।न्यूटिमा अस्पताल में भर्ती ब्लैक फंगस बीमारी के दोनों मरीज की हालत गंभीर है। अस्पताल के एमडी डॉक्टर संदीप गर्ग ने बताया कि एक मरीज वेंटिलेटर पर और दूसरा ऑक्सीजन पर है।

दरअसल, ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस फंगस की वजह से होने वाला दुर्लभ संक्रमण है। इंसान की नाक और बलगम में भी ये पाया जाता है। इससे साइनस, दिमाग, फेफड़े प्रभावित होते हैं। ये डायबिटीज के मरीजों या कम इम्युनिटी वाले लोगों, कैंसर या एड्स के मरीजों के लिए घातक भी हो सकता है। ब्लैक फंगस में मृत्यु दर 50 से 60 प्रतिशत तक होती है। इस बीमारी में मरीज की नाक का बहना, चेहरे का सूजना, आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द, खासी, मुंह के न भरने वाले छाले, दातों का हिलना और मसूड़ों में पस पड़ना आदि लक्षण दिखते हैं। ब्लैक फंगस को अक्सर कोविड के इलाज के दौरान दी गई दवाओं का साइड इफेक्ट माना जाता है।

यह फंगस त्वचा के साथ नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचा सकता है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा और दिल्ली में मरीज मिल चुके हैं। अब बिजनौर और मुजफ्फरनगर जिले के मरीजों में मिला है। काला फंगस पहले ही हवा और जमीन में मौजूद है। जैसे ही कोई कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला व्यक्ति से संपर्क में आता है, तो उसके चपेट में आने की आशंका अधिक रहती है। हवा में फंगस की मौजूदगी के कारण यह सबसे पहले नाक में घुसता है। फेफड़ों के बाद रक्त से मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। ब्लैक फंगस का संक्रमण जितना गंभीर होगा, लक्षण भी उतने ही गंभीर होंगे। काला कंगस जब मस्तिष्क तक पहुंचेगा तो व्यक्ति बेहोशी की हालत में रहेगा।

 

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