आईटी एक्ट की धारा 66 ए खत्म, बावजूद इसके दर्ज हो रहे मुकदमे, सुप्रीम कोर्ट हैरान
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आईटी एक्ट की धारा 66 ए खत्म, बावजूद इसके दर्ज हो रहे मुकदमे, सुप्रीम कोर्ट हैरान

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2015 में इस धारा को निष्प्रभावी करने के हुए थे आदेश

तब 11 राज्यों में दर्ज थे 229 मामले

अब इसके बाद दर्ज किये 1307 नये मामले

नई दिल्ली। आईटी एक्ट की धारा 66ए जो 2015 में रद्द कर दी गई उस पर देश के प्राय सभी राज्यों ने बड़ी संख्या में केस दर्ज किये हैं। यानी इस धारा को निष्प्रभावी करने के फैसले के बावजूद इस धारा के तहत लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं।

दरअसल, अपना हलफनामा दायर करते हुए केंद्र ने कहा कि हालांकि 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को लिखे अपने पत्रों में 2015 के फैसले के अनुपालन की सूचना दी है, लेकिन आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाना सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की कानून प्रवर्तन एजेंसियों की है। 27 जुलाई को दाखिल हलफनामे में यह भी कहा गया है कि भारतीय संविधान के तहत पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं और अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन और पुलिसकर्मियों की क्षमता निर्माण मुख्य रूप से राज्यों की जिम्मेदारी हैं।

यह हलफनामा जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा इस बात पर सख्त नाराजगी जताने के बाद दायर किया गया कि असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद भी आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत दर्ज होने वाले मामलों में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है।  मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट धारा 66ए को रद्द कर दिया था, तब 11 राज्यों में 229 मामले लंबित थे। इसके बाद राज्यों में पुलिस ने उसी प्रावधान के तहत 1,307 नए मामले दर्ज किए है। दरअसल, धारा 66ए ने पुलिस को अपने विवेक के अनुसार ‘आक्रामक’ या ‘खतरनाक’ के रूप में या झुंझलाहट, असुविधा आदि के प्रयोजनों के लिए गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया था।

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