कोरोना काल की 15% स्कूल फीस वापस करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर
- प्राइवेट स्कूलों ने आदेश के बावजूद वसूली थी फीस
- कोरोना काल में लगभग सभी काम धंधे हो गये थे चौपट
- अभिभावकों ने दिये थे फीस जमा न करने के तर्क
- प्राइवेट स्कूलों का अपने अलग तर्क थे
- हाईकोर्ट ने दिये थे 15 फीसदी फीस वापस करने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आज हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा ली गई फीस का 15 फीसदी लौटाने के आदेश दिये गये थे। निश्चित रूप से इस आदेश से जहां प्राइवेट स्कूल संचालकों के चेहरे खिल गये हैं वहीं अभिभावकों की पेशानी पर चिंता की लकीरे खींच गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब प्राइवेट स्कूलों की 15 फीसदी फीस वापस नहीं करनी होगी।
कोरोना काल के दौरान अधिकांश काम धंधे चौपट होने के कारण बड़े पैमाने पर ऐसे छात्र रहे जो निर्धारित समय सीमा में फीस जमा नहीं कर पाये थे। इन अभिभावकों का तर्क था कि एक तरफ जहां उनके काम धंधे चौपट हो गये हैं वहीं इस अवधि में स्कूल खुले भी नहीं हैं। वहीं अनेक स्कूल संचालकों ने बंद अवधि में भी फीस के साथ ही ट्रांसपोर्ट फीस भी वसूली थी। उधर प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना था कि उनके खर्चे यथावत हैं। बिल्डिंग की मेनटीनेंस के साथ ही उन्हें शिक्षकों का भी पूरा वेतन देना पड़ा है। अत उनके सामने छात्रों से फीस वसूलने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं हैं।
मामला अदालत पहुंचा तो हाल ही में हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि कोराना काल में ली गई फीस का 15 प्रतिशत प्राइवेट स्कूल संचालक वापस अभिभावकों को करें, अथवा इस रकम को आगे एडजेस्ट करें। निश्चित रूप से हाईकोर्ट के इस आदेश के प्राइवेट स्कूल संचालकों को झटका लगा था। नोएडा एक्सप्रेस वे पर स्थित लोटस वैली समेत अन्य स्कूलों ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए नोएडा समेत पूरे उत्तर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को राहत देते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
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