लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे कर सभी को चौंकाया
लोकसभा चुनाव की घोषणा से ऐन पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया है। उनका कार्यकाल अभी 2027 तक था और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अगले साल हो रहे सेवानिवृत्ति के बाद अरुण गोयल को मुख्य चुनाव आयुक्त बनना था। अरुण गोयल ने यह इस्तीफा क्यों दिया है अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। अलबत्ता तमाम तरह के कयास जरूर लगाये जा रहे हैं।
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफा को कानून एवं न्याय मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। कानून और न्याय मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चुनाव आयुक्त के रूप में अपने पद से गोयल का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में एक पद पहले से रिक्त है। गोयल के इस्तीफे के बाद आयोग में अब सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बचे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या राजीव कुमार अकेले ही लोकसभा चुनाव संपन्न करायेंगे।
बता दें कि 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी अरूण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था। इस नियुक्ति को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि आखिरकार इस बात की इतनी जल्दी क्यों थी कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के अगले ही दिन उनको चुनाव आयुक्त बना दिया गया ?
अरुण गोयल ने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफ़ा दिया है। जब इतना साहस किया ही है तो उन्हें प्रेस कांफ्रेंस करनी चाहिए और कारण बताना चाहिए। क्या उन पर किसी का दबाव था? दबाव किस बात को लेकर था? विपक्ष के राज्यों को लेकर रहा होगा या तारीख़ को लेकर हुआ होगा? क्या वे किसी चीज़ की अति से…
— ravish kumar (@ravishndtv) March 9, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला देते हुए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तय करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गोयल की नियुक्ति को रद्द तो नहीं किया, लेकिन कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई होंगे।
दिलचस्प व गंभीर बात यह भी है कि इस आदेश के बाद सरकार एक कानून लेकर आई, जिसमें नियुक्ति पैनल से सीजेआई को बाहर कर दिया गया। नए कानून के मुताबिक पैनल में प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष के अलावा प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक मंत्री को शामिल किया गया है। इस नये कानून को लेकर विपक्ष हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा चुनाव आयोग पर भी कब्जा करने में लगी है। किसी विषय पर मतदान की स्थिति में सत्ता पक्ष के पास ही तीन में से दो मत होने के कारण बहुमत रहेगा। फरवरी में अनूप पांडे की सेवानिवृत्ति और अब गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय चुनाव आयोग समिति में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं।
follow us on 👇
फेसबुक -https://www.facebook.com/groups/480505783445020
ट्विटर -https://twitter.com/firstbytetv_
चैनल सब्सक्राइब करें – https://youtube.com/@firstbytetv
वेबसाइट -https://firstbytetv.com/
इंस्टाग्राम -https://www.instagram.com/firstbytetv/