सात करोड़ रुपये का भुगतान न होने पर ठेकेदार ने अंतत: लगाई फांसी
BREAKING उत्तर प्रदेश मेरठ

सात करोड़ रुपये का भुगतान न होने पर ठेकेदार ने अंतत: लगाई फांसी

Feb 28, 2023
20 Views
  • नगर निगम में चारों तरफ भ्रष्टाचार 
  • मलाईदार सीटों पर जमे पड़े हैं लोग
  • नगर आयुक्त सीट पर बैठते हैं अल्प समय
  • महापौर सुनीता वर्मा भी रहती हैं गैरहाजिर
  • जांच के नाम पर ठेकेदार को टहलाने का आरोप
  • भुगतान न होने पर परेशान थे दिवेश
  • नगर निगम की व्यवस्था निरंकुश 

नगर निगम मेरठ में चारों तरफ व्यापत भ्रष्टाचार ने आज एक ठेकेदार दिवेश अग्रवाल की जान ले ली। निर्माण कार्य करने के बावजूद करीब सात करोड़ रुपया फंसा हुआ था लेकिन कमीशनखोरी के चलते भुगतान नहीं हो पा रहा था। कंस्ट्रक्शन मैटिरियल व अन्य लोगों का भुगतान के लिये ठेकेदार पर  बराबर दबाव था लेकिन आरोप है कि नगर निगम की भ्रष्ट व्यवस्था और लंबे समय से मलाईदार सीटों पर कुंडली मारे बैठे स्टाफ ने भुगतान नहीं होने दिया। कोई रास्ता निकलता न देख जेई से मोबाइल पर बात करने के बाद मजबूरन दिवेश अग्रवाल ने मौत को गले लगा दिया। जाने वाला चला गया लेकिन नगर निगम मेरठ की अकंठ तक भ्रष्टाचार में डूबी व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

नगर निगम के यह ठेकेदार दिवेश अग्रवाल गंगानगर में मकान संक्या जीपी 90 में रहते थे। यह मकान भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार तीन मकान छोड़कर स्थित है। मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे ठेकेदार का शव अपने आफिस में पंखे से लटका हुआ मिला। अनूपशहर, बुलंदशहर के मूल रूप से रहने वाले देवेश अग्रवाल पुत्र स्व. प्रकाश चंद अग्रवाल मेरठ नगर निगम में ठेकेदारी करते थे। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिये  भेज दिया। परिजनों के मुताबिक दिवेश ने नगर निगम में लगभग 10 करोड़ से अधिक के विकास कार्य किये हैं। इनमें  लोहिया पार्क, मलियाना में नाला निर्माण समेत दर्जन भर से अधिक विकास  शामिल हैं। वह मॉडर्न इंजीनियरिंग कंपनी के नाम से निर्माण कार्य करते थे।

स्थानीय पार्षद गुलबीर ने बताया कि उनका काफी समय से निगम से भुगतान नहीं हो रहा था। लगभग 7 करोड़ रुपया बकाया बताया जा रहा है। इसको लेकर वह काफी तनाव में रहते थे। मंगलवार सुबह भी ठेकेदार की निगम में किसी जेई से भुगतान को लेकर बात हुई थी। इसके बाद ऑफिस में पड़े पलंग पर स्टूल रख कर चादर से फांसी लगा ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह लटकना यानी फांसी बताया गया है। थानाध्यक्ष गंगानगर डीपी सिंह का कहना है कि फिलहाल परिवार की तरफ से कोई तहरीर नहीं दी गई है।

इन हालात को देखकर यह कहा जा सकता है कि ठेकेदार की मौत के बाद बचे परिजन रिपोर्ट दर्ज करा कर जो पैसा बकाया है उसे और फसाना तो नहीं चाहेंगे। क्योंकि जाने वाला तो चला गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नगर निगम में लंबे समय से कर्मचारी एक ही पटल पर जमे हुए हैं। शासनादेश को ताक पर रखकर ये लोग नगर निगम को अपने इशारे पर नचा रहे हैं। नगर आयुक्त पद पर कोई भी आये, शुरू में थोड़े तेवर के बाद प्राय सभी अफसर इन लोगों के आगे नतमस्तक हो जाते रहे हैं। हाल ही में नवल सिंह रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन टीम द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा  राजेंद्र शर्मा, मुकेश शर्मा, रईस अहमद आदि तमाम कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्तता के कारण कार्रवाई की जद में आ चुके हैं।

नगर निगम से जुड़े लोगों कहना है कि मेरठ नगर निगम में महापौर व नगर आयुक्त हमेशा दो खेमे में रहे हैं। और यही कारण है कि निगम में जमे पड़े कर्मचारी निरंकुश हो चुके हैं। नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा भी कुछ ही समय अपनी सीट पर बैठते हैं। महापौर सुनीता वर्मा का भी कमोवेश ऐसा ही है। ऐसे में स्टाफ निरंकुश है और शहर की जनता समस्याओं को लेकर परेशान हैं। सुनवाई के नाम पर सब शून्य है।

follow us on facebook https://www.facebook.com/groups/480505783445020
follow us on twitter https://twitter.com/home
follow us on you tube https://www.youtube.com/channel/UCQAvrXttAEoWXP6-4ATSxDQ
follow us on website https://firstbytetv.com/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *