भाजपा टिकट की घोषणा से उड़ेगा रंग तो कई चेहरे होंगे बेरंग
204 Views
- होली के रंग,भाजपा संग,किसे कहेगी पार्टी “हैप्पी होली”
- केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शनिवार की शाम
- उम्मीदवारों के नाम पर लगेगी अंतिम मोहर
- मेरठ हापुड़ सीट से दावेदारों की लंबी फेहरिस्त
- राजेंद्र अग्रवाल, अमित अग्रवाल, मुकेश सिंघल व विकास अग्रवाल की दावेदारी
- उद्योगपति व शिक्षाविद राजेश दीवान ने भी की मजबूत दावेदारी
- पंजाबी समाज राजेश दीवान के पक्ष में उतरा, की दावेदारी
- डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, सुनील भराला व संगीत सोम भी हैं प्रयासरत
-
राजनाथ के लखनऊ से लड़ने पर गाजियाबाद व मेरठ के समीकरण बदले
-
आज शाम या फिर 25 को हो सकती है उम्मीदवारों की घोषणा
-
राजेश दीवान की पत्नी नीरू दीवान भी वैश्य परिवार से हैं। इस कारण भी उनकी दावेदारी पुख्ता हो गयी है।
इन दिनों सिर्फ एक ही चर्चा है,…भाजपा से किसका टिकट फाइनल हुआ। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी आदि अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन भाजपा ने उन सीटों पर दम साध रखा है जिन पर पिछले लोकसभा चुनाव में बेहद कम अंतराल से पार्टी प्रत्याशी जीता था। इनमें पश्चिम उत्तर प्रदेश का केंद्र मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट भी शामिल है। आज भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की शाम सात बजे महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है इसमें पार्टी अध्यक्ष के अलावा नरेंद्र मोदी व अमित शाह भी भाग लेंगे। माना जा रहा है कि आज शाम इन बचे हुए उम्मीदवारों के नाम पर फाइनल मोहर लग जायेगी। अब संभावना यह है कि इस लिस्ट को आज रात तक घोषित कर दिया जाये या फिर 25 मार्च को। 25 मार्च को होली का रंग है। ऐसे में बहुत से लोगों के चेहरे का रंग खिलेगा और टिकट चाहने वालों में से बहुत का उड़ भी जायेगा। अब यह पार्टी नेतृत्व पर है कि किस को वह होली शुभ हो कहती है और किस को नहीं ।
मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर पिछले तीन बार से राजेंद्र अग्रवाल भाजपा से सांसद चुनते चले आ रहे हैं। एक बार खुद से और दो बार मोदी लहर में। पिछली बार उन्होंने मात्र 47 सौ वोट से जीत दर्ज की थी। यह जीत याकूब कुरैशी को हरा कर हासिल की गई थी। मतगणना के अंत में एक समय ऐसा भी आया था जब याकूब कुरैशी की जीत को लेकर मेरठ के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जश्न शुरू हो गया था लेकिन एकाएक ही अप्रत्याशित रूप से राजेंद्र अग्रवाल विजेता घोषित कर दिये गये। मतगणना स्थल पर तत्कालीन डीएम, तत्कालीन एसएसपी और याकूब कुरैशी के बीच ऐसा क्या हुआ जो राजेंद्र अग्रवाल बाजी मार गये इसे लेकर भी तमाम तरह की चर्चाएं हैं। हालांकि ये सभी केवल चर्चा तक ही सीमित हैं, इसका आफिशियल रेकार्ड कुछ नहीं है।
अब अधिकांश जगह के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं और नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई हैं। ऐस में इन सीटों पर प्रत्याशी कौन.. को लेकर जिज्ञासा अपने चरम पर है। वर्तमान में जो नाम सर्वाधिक चर्चा में हैं उनमें वैश्य बिरादरी के दावेदारों में राजेंद्र अग्रवाल और कैंट विधायक अमित अग्रवाल के साथ ही भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल और हापुड़ निवासी डा. विकास अग्रवाल प्रमुख रूप से शामिल हैं। राजेंद्र अग्रवाल जहां संघ नेतृत्व में अपनी पकड़ के चलते अपना टिकट पक्का होने का दंभ भर रहे हैं तो अमित अग्रवाल को उम्मीद है कि यदि टिकट वैश्य को मिलता है और राजेद्र का टिकट कटता है तो उनसे बेहतर कोई दूसरा वैश्य प्रत्याशी नहीं हैं। इसके पीछे अनुभव के साथ बेहतर चुनाव मैनेजमेंट और सामर्थ्य गिना जा रहा है। वहीं भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल व डा.विकास अग्रवाल ,आरएसएस के एक बड़े पदाधिकारी के खासे करीबी हैं, दोनों को उम्मीद है कि उन्हें पार्टी की तरफ से हैप्पी होली बोला जायेगा। माना जा रहा है कि इन्हीं पदाधिकारी के आर्शीवाद के चलते मोहित बेनीवाल पहले महामंत्री,फिर क्षेत्रीय अध्यक्ष और अब एमएलसी बनने में कामयाब हुए हैं। समाजवादी पार्टी से भाजपा में आई सरोजनी अग्रवाल भी पिछले कुछ समय से सक्रिय नजर आ रही थी लेकिन उन्हें भाजपा ने इस बार एमएलसी नहीं बनाया। पूर्व में सपा छोड़कर भाजपा में आने पर जो डील हुई थी उसकी मियाद एमएलसी की अवधि समाप्त होते होते खत्म हो गयी।
भाजपा से टिकट चाहने वालों में एक बड़ा नाम इन दिनों उद्योगपति व प्रमुख समाजसेवी राजेश दीवान का भी सामने आ रहा है। कई शिक्षण संस्था रन कर रहे राजेश दीवान कोरोना काल में मोटी धनराशि व पीपीई किट देकर एकाएक चर्चा में आये थे। उनके पीछे पंजाबी समाज खड़ा हुआ है। मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर पंजाबियों की संख्या करीब ढाई लाख बताई जा रही है। हाल ही में संयुक्त पंजाबी संघ ने प्रेस वार्ता कर राजेश दीवान को टिकट देने की खुलकर वकालत की है। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि पिछले पचास सालों से भाजपा व आरएसएस से जुड़े पंजाबी समाज को अब राजेश दीवान को टिकट देकर सम्मान मिलना चाहिये। सूत्रों का दावा है कि राजेश दीवान की दिल्ली में कई दौर की वार्ता हो चुकी है।
जहां तक बात ब्राह्मण समुदाय की है तो यहां से राज्य सभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व मंत्री सुनील भराला का नाम भी चर्चा में शामिल है। मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट के बारे में यह भी प्रचारित है कि यहां का टिकट काफी हद तक गाजियाबाद टिकट पर निर्भर करता है। भाजपा यदि वहां से किसी ब्राह्मण को चुनाव लड़ाती है तो यहां से वैश्य को ही लड़ाती आ रही है। पूर्व में भाजपा में यह भी चर्चा थी कि राजनाथ सिंह व नितिन गडकरी का टिकट कट रहा है। राजनाथ सिंह की जगह उनके बेटे पंकज सिंह को नोएडा व किसी वैश्य को अनिल अग्रवाल को गाजियाबाद से लड़ाने की बात थी। ऐसे में मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट ब्राह्मण के खाते में आ रही थी। इस समीकरण को देखते हुए ही डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी मैदान में कूदे थे। अब राजनाथ सिंह को लखनऊ से प्रत्याशी घोषित करने से पंकज चुनाव लड़ने की रेस से बाहर माने जा रहे हैं। महेश शर्मा को अब नोएडा से टिकट दे दिया गया है। ऐसे में दो पड़ोसी जिलों से जातीय समीकरण को बैलेंस करने के लिये दूसरे ब्राह्मण को मेरठ से उतारा नहीं जा सकता है। गाजियाबाद से ठाकुर बिरादरी के वीके सिंह का टिकट फाइनल माना जा रहा है और इसकी कारण ठाकुर बिरादरी का प्रतिनिधित्व कर रहे सरधना से हारे संगीत सोम मेरठ सीट से दावा कर रहे हैं। हाल में ही में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लड्डू बांटना भी राजनीतिक लोग इसी चश्मे से देख रहे हैं।
इन सब के बीच, प्रत्याशी चाहे कोई भी हो, देश के तमाम मुद्दों को दरकिनार रख पार्टी केवल तीन ही नारों को लेकर चुनाव मैदान में उतर रही है। पहला- अबकी बार चार सौ पार, दूसरा- मोदी की गारंटी और तीसरा -अबकी बार फिर मोदी सरकार। ऐसे में प्रत्याशी कौन होगा यह बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता है ।।