लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा में प्रत्याशियों पर मंथन शुरू , 2% से कम जीत-हार वाली 48 सीटों पर दिग्गज नेताओं को उतारेगी पार्टी
दिल्ली-एनसीआर

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा में प्रत्याशियों पर मंथन शुरू , 2% से कम जीत-हार वाली 48 सीटों पर दिग्गज नेताओं को उतारेगी पार्टी

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भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों पर मंथन शुरू कर दिया है। मोदी की गारंटी का नैरेटिव सेट कर रही पार्टी जीत पक्की करने के लिहाज से उन 48 लोकसभा सीटों पर कद्दावर नेताओं को उतारने की योजना बना रही है, जहां पिछली बार जीत-हार का अंतर 2% से कम रहा था । भाजपा जिन सीटों पर 35-52% से ज्यादा के अंतर से जीती थी, वहां नए प्रत्याशियों को मौका दिया जाएगा। पिछले चुनाव में 0.2 से 1.91% तक कुल 48 लोकसभा सीटों पर पार्टी की हार-जीत हुई थी। इनमें 10 उत्तर प्रदेश से है, जहां भाजपा जीती थी । 48 में से 27 सीटें ऐसी थीं, जहां प्रत्याशी 1% से कम अंतर से चुनाव जीते थे। जबकि जिन 50 सीटों पर जीत का अंतर 35% से अधिक रहा, उनमें 40 से ज्यादा पर भाजपा जीती थी । भाजपा के चुनाव अभियान से जुड़े नेता का कहना है कि ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, असम और बंगाल आदि में इस बार कद्दावर नेताओं को उतारा जाएगा। उत्तर प्रदेश-बिहार की कुछ सीटों पर भी ऐसा ही प्रयोग होगा । महाराष्ट्र-बिहार में सियासी समीकरण आंकड़ों के लिहाज से कठिन दिख रहे हैं, इसलिए यहां बड़े अंतर से जीती गई आधा दर्जन सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतारे जाएंगे । 2019 में भाजपा 303 सीटें जीती थी। 240 सीटें अन्य दल जीते थे। इनमें कुछ एनडीए, कुछ यूपीए की तो कुछ अन्य की थीं। लिहाजा 40 सीटों का उलटफेर बड़ा बदलाव ला सकता है। इस लिहाज से 2% से कम मार्जिन वाली 48 सीटें अहम हो जाती हैं। बिहार में नीतीश विरोधी खेमे में चले गए हैं । महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी दो फाड़ हो चुकी हैं। हिंदी पट्‌टी और गुजरात में भाजपा कमोबेश अधिकतम सीटें हासिल कर चुकी है। जिन सीटों पर 35% से अधिक वोट प्रतिशत से जीत हुई थी, उनमें 42 सीट भाजपा के पास हैं । दूसरी तरफ, विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों में सीट शेयरिंग को लेकर मंथन का दौर जारी है। पंजाब और दिल्ली की 20 सीटों पर सहमति के करीब पहुंचने के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की 168 सीटों का गणित बैठाने पर ध्यान जमाया है । विपक्ष का सशक्त उम्मीदवार उतारने का बीड़ा उठाया है। बातचीत के सूत्रधारों में एक ने भास्कर को बताया कि राज्य में भाजपा को मजबूत टक्कर देने के लिए बसपा को साथ लेना जरूरी है ।

बातचीत 80 में से 76 सीटों पर है। चार सीटें गांधी परिवार के लिए हैं। विपक्षी खेमे को लगता है कि इस बार वरुण और मेनका गांधी भी भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में नहीं होंगे। ऐसे में रायबरेली, अमेठी के अलावा पीलीभीत और सुल्तानपुर पर भी सामूहिक फैसले लेने होंगे। बाकी सीटों को लेकर सपा के साथ कांग्रेस बातचीत चलाएगी । सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने बसपा को साथ नहीं लिया तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा और भाजपा का रास्ता आसान हो जाएगा। सपा किसी भी सूरत में बसपा के साथ बातचीत के विरोध में है। ऐसे में कांग्रेस ने बसपा के साथ मिलकर सपा से सीटों का सौदा करने की रणनीति बनाई है। यानी कांग्रेस ने सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय लोकदल और बसपा के लिए भी सीटें मांगने का फॉर्मूला तैयार किया है ।।

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