जंतर मंतर से हटाये गये पहलवान अब आगे क्या करेंगे ? जानिये
पुलिस की इजाजत न मिलने के बावजूद भी पहलवानों ने नये संसद भवन के सामने महापंचायत की। नए संसद भवन से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जंतर मंतर से मार्च शुरू किया गया था। मार्च को रोकने के लिये पुलिस ने भारी सुरक्षाबल की तैनाती के साथ बैरिकेडिंग लगाये थे। तमात सख्ताईयों के बावजूद पहलवानों ने सुरक्षा घेरे को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का मुक्की व हाथापाई हो गई।
पहलवानों के साथ हुई हाथापाई के बाद ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने ट्वीट किया है जिसमें उन्हाने इंसाफ न मिलने तक जंतर मंतर पर धरना जारी रखने की कसम खाई है। उन्हाने लिखा है हमारा आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है,,,, हम अपना सत्याग्रह जंतर मंतर से शुरू करेंगे। इस देश में तानाशाही नहीं होगी, बल्कि महिला पहलवानों का सत्याग्रह होगा।
वहीं बजरंग पूनिया ने कहा जब तक न्याय नहीं मिल जाता तब तक घर जाने का कोई मतलब नहीं, बाकि पहलवानो से मिलने के बाद तय करतें है आगे क्या करना है। आगे कहा कि यह देश का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है कि एके योन उत्पीड़न का आरोपी देश की नई संसद के उद्घाटन में शरीक हो रहा है। आगे कहा कि आरोपी भाजपा सासंद ब्रजभूषण के खिलाफ एफआईआर करने में पुलिस को 7 दिन का समय लगा और हमपर सात घंटे में ही एफआईआर कर दी।
वहीं विनेश फोगाट ने भी ट्वीट कर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यौन शोषण करने वाले ब्रज भूषण के खिलाफ एफआईआर करने में दिल्ली पुलिस को 7 दिन का समय लगता है, और शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे खिलाड़ियों के खिलाफ 7 घंटे में एफआईआर कर डाली। सारी दुनिया खिलाड़ियों के साथ हो रहा बर्ताव देख रही है। क्या सरकार की तानाशाही नहीं है।
गौरतलब है कि भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पिछले 34 दिन से महिला पहलवान जंतर मंतर पर रात दिन धरनारत है। इनके समर्थन में पांच राज्यों के किसानों व अन्य ने दिल्ली में नई संसद भवन के बाहर महिला महापंचायत का आयोजन आज किया था। यह महापंचायत बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आयोजित होनी थी। इसमें हरियाणा के अलावा यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब व दिल्ली की खापों के लोग व किसानों को शामिल होना था। हालांकि रात से सक्रिय पुलिस ने तमाम ऐसे इंतजाम करने शुरू कर दिये थे कि ये लोग नई संसद भवन तक न पहुंच पायें। रास्ते में बैरिकेडिंग के अलावा नामचीन लोगों को घरों में से ही नहीं निकलने दिया गया था।