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दिल्ली पुलिस की इन गल्तियों की वजह से आज SC से बरी हो गये छावला गैंगरेप के आरोपी

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निर्भया कांड से 10 महीने पहले 9 फरवरी 2012 को एक और कांड हुआ था जिसमे लड़की के साथ ठीक वैसी ही दरिंदगी हुई जैसी निर्भया के साथ हुई थी। तीन लड़को ने चलती कार मे लड़की के साथ रेप करते हुए हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी उसके बाद लड़की का बेरहमी से कत्ल कर दिया था।
गैंगरेप मे दोषी इन तीनो आरोपीयों को दो अदालतो ने फांसी की सज़ा सुनाई थी। पहले निचली अदालत और फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी। इसके बाद मामला देश की सबसे बड़ी अदालत मे पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसले को बदलते हुए फांसी की सज़ा को खारिज कर दिया है। और तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है। इस सब की वजह दिल्ली पुलिस की लापरवाही बताई जा रही है। दिल्ली पुलिस की कमज़ोर जांच और लापरवाही के चलते आज तीन आरोपी बरी हो गये। दिल्ली पुलिस ने इस संगीन मामले का कत्ल कर दिया है।
निर्भया को भला कौन नही जानता ये वो हैवानियत ने दिल्ली ही नही बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। ये वो संगीन मामला था जब गुनहगारो को सज़ा दिलाने के लिये कानून तक बदल दिये गये थे। लेकिन निभया कांड से 10 महीने पहले एक और ऐसी ही वारदात को अंजाम दिया गया था। 9 फरवरी 2012 को ठीक वैसी ही दरिंदगी हुई थी। तीन लड़को ने चलती कार में लड़की के साथ रेप करते हुए हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी और फिर उसके बाद हत्या को अंजाम दिया था। लड़की को छावला से अगवा किया फिर उसके साथ हैवानियत की हदें पार की उसके बाद हत्या को अंजाम दिया। इसके बाद पीड़िता की लाश हरियाणा के रेवाड़ी के खेतों मे पायी गई थी।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीनों मुजरिमों को गिरफ्तार किया , सबूत इकट्ठे किए गवाहों से बात की और 3 महीने गुजरने के बाद चार्जशीट भी दाखिल हो गई। तमाम सबूतों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली कोर्ट ने मुल्जिमो को मुजरिम करार करते हुए फांसी की सजा सुना दी। इसके बाद आरोपी हाईकोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने भी पूरे केस को सुनने और समझने के बाद सबूतों को मद्देनजर रखते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए फांसी की सजा पर मुहर लगा दी। इसके बाद आरोपी पहुंचे देश के सर्वोच्च न्यायालय जहां यह केस सर के बल पलट गया। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जिस केस को लोआर कोर्ट और हाईकोर्ट ने दरिंदगी करार दिया था । उस केस में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों लड़कों को ना सिर्फ नई जिंदगी दी है बल्कि समाज में खुलकर जीने का हक भी दे दिया है।

प्वाइंट1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवाहों का कोई cross-examination नहीं हुआ। SC ने कहा दिल्ली पुलिस ने 49 गवाहों के नाम दर्ज किए थे। इनमें से 39 का क्रॉस एग्जामिनिएशन हुआ है।

प्वाइंट 2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने मुलजिमों की टीआरपी यानी टेस्ट आईडेंटिफिकेशन परेड नहीं करवाई है।

प्वाइंट 3. लड़की का पोस्टमार्टम 14 फरवरी को हुआ था लेकिन लड़की के सैंपल दो दिन बाद 16 फरवरी को क्यों लाए गए।

प्वाइंट 4. तीनों आरोपियों के सैंपल 14 फरवरी और 16 फरवरी को लिए गए थे। लेकिन एफ एस एल दिल्ली में यह सैंपल 27 फरवरी को पहुंचे।

प्वाइंट 5. आरोपी राहुल की कार कई दिनों तक थाने में खड़ी रही कायदे में उसे फौरन फॉरेंसिक जांच के लिए भेजना चाहिए था।

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