करुणानिधि के बड़े बेटे अलागिरी नई पार्टी बनाकर भाई एमके स्टालिन को दे पाएंगे चुनौती ??
तमिलनाडु में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की सियासी विरासत को लेकर परिवार में दरार पड़ती दिख रही है. एक तरफ करुणानिधि के बेटे और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन खुद सत्ता हासिल करने की रणनीति में जुटे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उनके भाई एमके अलागिरी अपने कुछ खास समर्थकों के साथ नई पार्टी बनाने को लेकर शुक्रवार को बैठक कर सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अलागिरी अगर नई पार्टी बनाते हैं तो क्या अपने भाई स्टालिन को चुनौती दे पाएंगे ? बता दें कि अलागिरी ने साल 2018 में करुणानिधि के निधन के सिर्फ एक हफ्ते बाद ही स्टालिन को डीएमके का जिम्मा सौंपे जाने पर सवाल खड़े करते हुए मोर्चा खोल दिया था. करुणानिधि के समाधि स्थल मरीना बीच से उन्होंने कहा था कि डीएमके कार्यकर्ता उनके साथ हैं. स्टालिन भले ही कार्यकारी अध्यक्ष हैं, लेकिन वो काम नहीं करते और वो पार्टी को जिताने की क्षमता नहीं रखते. अलागिरी की चुनौती के बावजूद स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष बनने में सफल रहे थे । हालांकि, करुणानिधि को अपने जीवन काल में ही उत्तराधिकारी स्टालिन और बेटे अलागिरी के बीच संघर्ष से रूबरू होना पड़ा था. 90 के दशक में दोनों भाइयों के बीच बढ़ती दरार को कम करने के लिए करुणानिधि ने अलागिरी को दक्षिण तमिलनाडु में पार्टी काम देखने के लिए भेज दिया था. इसके बाद भी दोनों भाई के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग नहीं थमी. करुणानिधि ने स्टालिन के विरोध के चलते 2014 में अलागिरी को डीएमके से निष्कासित कर दिया था, तब से लेकर अभी तक उनकी पार्टी में वापसी नहीं हो सकी ।।