- चालीस साल से आबाद मेरठ का सोतीगंज में सब कुछ बदला
- वाहनों का स्लाटर हाउस कहे जाने वाले सोतीगंज के कारोबारियों ने धंधे बंद किये
- आरटीओ आफिस भी दलाली चरम पर, कोई काम बगैर दलाल संभव नहीं
- आरटीओ अधिकारियों के लिये भी कामधेनू बने हुए हैं दलाल लोग
- कर्मियों की जगह दलाल काम करते आते रहे हैं नजर
- दलाल व अफसरों का सिंडिकेट करता है मोटे वारे न्यारे
- कई मंत्रियों के दामन भी कई बार हुए दागदार
- अब हालात बदले, दलाल हुए भूमिगत
मेरठ के सोतीगंज के बाद अब नंबर आरटीओ दफ्तर का है। सरकारें कई आई, सीएम भी कई आयें लेकिन आरटीओ कार्यालय को दलालों से मुक्त नहीं किया जा सका। दावें जरूर बढ़ चढ़कर किये गये लेकिन इन दावों पर पैसे की हनक ने हर बार पानी फेर दिया लेकिन इस बार हालात बदले बदले से हैं। प्रदेश के बाकी जिलों के साथ ही मेरठ का आरटीओ दफ्तर इन दिनों विरानी की चादर लपेटे हुए हैं। भीतर लोग हैं तो केवल वहीं जिन्हें विभागीय काम है। दलालों का प्रवेश पूर्णत वर्जित है। बाहर लगे टीन टप्पर के नीचे रखी मेज कुर्सी चेन डालकर उपर नीचे रखी हुई हैं। बाहर की उन सभी दुकानों पर ताला लटके हुए हैं जहां से दलाली का कारोबार रंगीन होता रहा है। नमस्कार मैं हू
यह सारा डवलेपमेंट हुआ है दोबारा से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताजा तरीन तेवर दिखाते हुए दिये गये निर्देश के बाद। सीएम योगी का एक वीडियो भी इन दिनों खूब वायरल हो रहा है जिसमें वह व्यवस्था में सुधार के प्रति दृण संकल्पित नजर आ रहे हैं ।।
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