बंगाल में डिमांड, असम में बवाल…चुनावों से पहले CAA पर क्या करेगी बीजेपी ?
जैसे जैसे पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए की डिमांड राज्य में तेज होती जा रही है. बीजेपी महासचिव खुद ऐलान कर चुके हैं कि राज्य में जनवरी यानी अगले महीने से ही सीएए लागू कर दिया जाएगा. वोट बैंक के लिहाज से बीजेपी के लिए बंगाल में ये बेहद फायदे का सौदा है. हालांकि पार्टी की राह इस मोर्चे पर इतनी आसान नहीं है. दरअसल पश्चिम बंगाल के साथ ही असम में भी विधानसभा चुनाव हैं.बंगाल में जहां बीजेपी ममता सरकार को सत्ता से हटाकर पहली बार राज्य में सरकार बनाने के मिशन पर है, वहीं असम में उसकी सरकार पांच साल से चल रही है जिसे बनाए रखने की कवायद उसे करनी है. सीएए को लेकर असम में भीषण बवाल हुआ था, अगर फिर से सीएए पर बात आगे बढ़ी हो राज्य में बीजेपी के लिए हालात प्रतिकूल हो सकते हैं. यही वजह है कि सीएए को लेकर बीजेपी बंगाल और असम के बीच फंसी हुई दिखती है.केंद्र की मोदी सरकार ने बीते साल 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पास करा लिया था. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से ये कानून भी बन गया. लेकिन एक साल बाद भी इस कानून को अमलीजामा पहनाने के नियम सरकार नहीं बना पाई है. अब जबकि बंगाल में चुनाव सिर पर हैं तो यहां सीएए की डिमांड हो रही है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय अपनी रैलियों में यह बात कई बार कह चुके हैं कि पश्चिम बंगाल में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी सीएए जनवरी से लागू हो जाएगा. इसके बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी ।।